अगर आपका कोई केस चल रहा है या फिर किसी केस में पुलिस के द्वारा FIR में गलत तरीके से आपका नाम (FIR Me Se Name Kaise Nikale) या फिर आपके किसी परिवार के सदस्य का नाम लिखवा दिया गया है और आपका उस केस से कोई लेना देना नहीं है फिर भी पुलिस आपका नाम FIR में से नहीं निकल रही है तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
आज हम आपको 3 कानूनी रास्तो के बारे में बताएगे जिनका इस्तेमाल करके आप FIR में दर्ज नाम को निकलवा सकते है।
ज्यादातर मामलो में यहाँ देखा जाता है कि विपक्षी पार्टी पुलिस के साथ मिलकर जीन व्यक्तियो का उस केस से लेना देना भी नहीं होता है उनका भी नाम गलत तरीके से FIR में लिखवा देते है इसका उद्देश्य पक्षकार को परेशान करना या फिर उसकी समाज में छवि को ख़राब या कोई अन्य कारण भी हो सकता है।
चलिए अब उन कानूनी रास्तो के बारे में बात करते है जिनका उपयोग करके आप इससे बच सकते है।
सबसे पहले आपको चाहिए कि आपको एक FIR कि कॉपी के साथ एक शिकायत पत्र जिसमे आपको आपके साथ हुई घटना और पुलिस के द्वारा गलत तरीके से FIR में नाम दर्ज करना सभी बातो को उसमे शामिल करके Speed Post या फिर आप स्वयं एसपी (सुपिरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के ऑफिस में जाकर भी अपनी बात रख सकते है।
ज्यादातर मामलो में यही से समस्या का समाधान एसपी (सुपिरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के दवारा करवा दिया जाता है।
अगर फिर भी बात नहीं बनती है और मामला न्यायालय के सामने चला जाता है तो उस स्थिति में आप न्यायालय से आवेदन पत्र द्वारा अपने आपको उस मामले से अलग करवा सकते है।
यह दो प्रकार से किया जा सकता है।
दीवानी वाद (Civil Case) – सिविल केस में अगर कोई झूठा वाद पात्र न्यायालय में पेश कर देता है तो जो कोई भी व्यक्ति उस झूठे केस से पीड़ित है तो वह व्यक्ति CPC के आदेश 01 नियम 10 (2) के द्वारा न्यायालय में आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकता है।
अगर न्यायालय को वाद पात्र को पढ़कर यहाँ प्रतीत होता है कि यह व्यक्ति को झूठा फ़साने के लिए और न्यायालय का समय बर्बाद करने के लिए पेश किया गया है तो न्यायालय चाहिए तो उस स्थिति में उस व्यक्ति को उस वाद से फ्री कर सकती है।
वही अगर मामला फोजदारी प्रकर्ति (Criminal Case) का है तो उस स्थिति में पुलिस जब न्यायालय में चार्ज शीट (Chargesheet) दाखिल करती है तो न्यायालय आरोपी व्यक्ति पर चार्ज फ्रेम (आरोप) करने से पहले दोनों पक्षकारो कि बातो को सुनता है और अगर उस समय आपका अधिवक्ता न्यायालय को इस बात से संतुष्ट कर देता है कि चार्ज शीट पुलिस द्वारा गलत तरीके से पेश कि गयी है और आरोपी पक्षकार का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है तो उस स्थिति में न्यायालय को लगता है कि आरोपी व्यक्ति को गलत तरीके से फसाया गया है तो न्यायालय आपके अधिवक्ता के द्वारा दाखिल CrPC 239 के आवेदन पर आरोपी पक्षकार को उस मामले से बरी कर सकता है।
इन सभी कानूनी तरीको का इस्तेमाल करके आप गलत तरीके से FIR में दर्ज हुए नाम को निकलवा सकते हो |