भारत में कोर्ट मैरिज (Court Marriage) एक पूरी तरह से वैध और कानूनी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा शादी को कानूनी दर्जा प्राप्त होता है।
भारत में कोर्ट मैरिज (Court Marriage) के लिए अलग अलग धर्म के लोगो के लिए अलग अलग कानून की व्यवस्था की गयी है जैसे स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 (Special Marriage Act) विभिन्न धर्मों या जातियों के लोगों को एक कानूनी प्रक्रिया के तहत शादी करने की अनुमति देता है। इसके साथ ही साथ हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 (Hindu Marriage Act) यह एक्ट हिंदू, बौद्ध, जैन, और सिख धर्म के लोगो को कोर्ट मैरिज का अधिकार देता है।
इसमें ये बात का ध्यान रखना जरुरी है कि कोर्ट मैरिज के लिए दो वयस्क (लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए) बिना किसी जाति, धर्म या सामाजिक प्रतिबंध के शादी कर सकते हैं।
लेकिन अक्सर देखा गया है कि कोर्ट मैरिज करने के बाद, खासकर जब शादी परिवार की इच्छा के खिलाफ होती है, तो घर वाले पुलिस थाने जाकर शिकायत (Complaint) करते है जिसका नतीजा यह निकलता है कि पुलिस द्वारा लड़के या लड़की को कॉल या नोटिस भेजना शुरू कर दिया जाता हैं और उन पर पुलिस स्टेशन आने का दबाव बनाया जाता है। ऐसी स्थिति में नवविवाहित जोड़े घबरा जाते हैं और समझ नहीं पाते कि अब क्या करें।
आज हम आपको इसी के बारे में पूरी जानकारी देंगे कि आपको पुलिस से किस प्रकार बात करनी है ताकि अगर कभी ये परस्थिति आपके साथ होती है तो आपको क्या क्या करना चाहिए। उससे पहले आपको इस बारे में जानकारी होना जरुरी है कि पुलिस कोर्ट मैरिज के बाद कॉल क्यों करती है चलिए जानते है।
पुलिस कोर्ट मैरिज के बाद कॉल क्यों करती है?
कोर्ट मैरिज के बाद पुलिस कॉल आने के पीछे के बहुत सारे कारण हो सकते है जैसे :
- परिवार के द्वारा थाने में झूठी शिकायत करना
ज्यादातर मामलो में नाराज माता-पिता या रिश्तेदार कोर्ट मैरिज के बाद निम्नलिखित झूठे आरोप लगाकर FIR दर्ज करवाने की कोशिश करते हैं जैसे –
1️⃣ अपहरण (BNS धारा 137(2), पूर्व में IPC 363) – यदि लड़की बालिग (18+) है, तो अपहरण का मामला नहीं बनता।
2️⃣ जबरन शादी (BNS धारा 87, पूर्व में IPC 366) – यदि शादी सहमति से हुई है, तो यह आरोप गलत होगा।
3️⃣ बलात्कार (BNS धारा 64, पूर्व में IPC 376) – बालिग लड़की की सहमति से हुई शादी में यह आरोप गलत होता है।
4️⃣ धोखाधड़ी (BNS धारा 318(4), पूर्व में IPC 420) – शादी को धोखे से हुई बताने की कोशिश की जा सकती है।
ये बात ज़रूर याद रखे कि अगर शादी स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत हुई है और दोनों बालिग हैं, तो इन आरोपों का जो आपके परिवार वालो के द्वारा लगाए गए है उनकी कोई भी कानूनी रूप से मान्यता नहीं रहा जाती है।
FIR में से नाम कैसे निकाले | FIR Me Se Name Kaise Nikale
- दस्तावेज़ वेरिफिकेशन
कई बार पुलिस कोर्ट मैरिज के बाद शादी प्रमाण पत्र (Marriage Certificate) और पहचान पत्र (ID Proof) की जांच करने के लिए संपर्क कर सकती है। यह सिर्फ औपचारिकता होती है इससे आपको डरने कि जरुरत नहीं है अगर आप चाहे तो उनको WhatsApp से भी Documents भेज सकते है।
- धमकी या सुरक्षा के कारण
अगर परिवार ने धमकी दी है या हिंसा करने की कोशिश की है, तो पुलिस आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कॉल कर सकती है। आप BNSS धारा 173 के तहत FIR दर्ज करवा सकते हैं और कोर्ट से सुरक्षा आदेश (Protection Order) भी ले सकते हैं।
पुलिस कॉल आने पर क्या करें?
- कॉल की सच्चाई की जांच करें
- पुलिस अधिकारी की पहचान की पुष्टि करें – नाम, पद, थाना और नंबर पूछें।
- 100 नंबर पर कॉल करें – यह सुनिश्चित करने के लिए कि कॉल वाकई थाने से आई है।
- झूठी कॉल से बचें – कई बार परिवार वाले फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर धमकी देते हैं।
आपको इन सब बातो का ध्यान रखना है और अपने स्तर पर आपको पुलिस थाने से आई कॉल की जांच करनी है।
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2. वकील से संपर्क करें
- पुलिस स्टेशन जाने से पहले वकील की सलाह लें।
- झूठे आरोपों के खिलाफ अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail)और FIR रद्द (Quash) कराने के लिए वकील मदद करेगा।
3. सभी दस्तावेज़ तैयार करें
थाने जाने से पहले ये दस्तावेज़ साथ रखें:
- कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट (स्पेशल मैरिज एक्ट धारा 13 के तहत)
- पहचान पत्र – आधार कार्ड, पैन कार्ड
- शादी से जुड़े फोटो और वीडियो
- कोर्ट में जमा विवाह आवेदन पत्र
- परिवार की धमकी के सबूत (कॉल रिकॉर्डिंग, चैट्स)
4. थाने जाएं लेकिन वकील के साथ
- बिना वकील के थाने न जाएं।
- पुलिस जो भी पूछे, उसका शांतिपूर्वक उत्तर दें।
- कोई भी लिखित बयान वकील की मौजूदगी में ही दें।
5. झूठी FIR हो जाए तो क्या करें?
- अग्रिम जमानत (BNSS धारा 482) के लिए अपील करें।
- BNSS धारा 528 के तहत हाई कोर्ट में याचिका देकर FIR रद्द करवाएं।
- BNS धारा 217-248 के तहत लड़की के परिवार पर झूठी शिकायत दर्ज कराने का केस कर सकते हैं।
कोर्ट मैरिज से सम्बंधित कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले
- लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2006) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वयस्कों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है और पुलिस या परिवार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
- शुभम बनाम हरियाणा राज्य (2020) – हाई कोर्ट ने कहा कि नवविवाहित जोड़ों को जान का खतरा हो तो पुलिस सुरक्षा देना अनिवार्य है।
कोर्ट मैरिज के लिए उम्र सीमा क्या है?
लड़के के लिए 21 वर्ष और लड़की के लिए 18 वर्ष।
कौन सा कानून लागू होता है?
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 और धर्म के अनुसार हिंदू मैरिज एक्ट, 1955।
कोर्ट मैरिज के लिए दस्तावेज़?
आयु प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, 3 गवाहों के ID प्रूफ, और पासपोर्ट साइज फोटो।
क्या अंतरधार्मिक शादी संभव है?
हां, स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत।
मैरिज सर्टिफिकेट कब मिलता है?
शादी के तुरंत बाद मैरिज रजिस्ट्रार द्वारा जारी किया जाता है।
परिवार के खिलाफ शादी करने पर कानूनी सुरक्षा?
हाई कोर्ट या पुलिस से सुरक्षा आदेश लिया जा सकता है।
अगर आपको कोर्ट मैरिज के बाद पुलिस से कोई दिक्कत हो रही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। बस आपको कानून की सही जानकारी होनी चाहिए फिर पुलिस आपका कुछ नहीं बिगड़ सकती। सावधान रहे सतर्क रहे और अपने अधिकारों के बारे जानने के लिए कानून को पढ़ते रहे धन्यवाद….