धारा 323 क्या है– Section 323 IPC in Hindi with Case Laws

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हेलो दोस्तों क्या आप धारा 323 IPC in Hindi को खोज रहे हैं क्या आपके केस में धारा 323 आईपीसी लगी हुई है क्या आप परेशान है की धारा 323 आईपीसी में जमानत कैसे होगी और क्या है सजा का प्रावधान इसके साथ ही साथ आप यह भी जानना चाहते हैं कि धारा 323 आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) कब लगाई जाती है|

इन सभी के जवाब आपको आज इस पोस्ट में पढ़ने को मिलेंगे लेकिन आपको इस पोस्ट को शुरू से लेकर आखिरी तक पढ़ना होगा तभी आप भारतीय दंड संहिता की धारा 323 को हिंदी में अच्छी तरह समझ सकते हैं |

अकसर आपको झगड़ों से संबंधित घटनाएं देखने और सुनने को मिलती होगी कि एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के साथ झगड़ा या मारपीट हो गई है लेकिन आपके मस्तिष्क में यह सवाल आवश्यक ही  उठा होगा की भारतीय दंड संहिता में झगडे और मारपीट से संबंधित क्या कानूनी प्रावधान दिए गए हैं इसके साथ ही साथ अगर आप किसी भी रुप से कानून से जुड़े हुए हैं तो आपको धारा 323 आईपीसी जरूर समझनी चाहिए ।

इस पोस्ट में हम आईपीसी 323 से संबंधित सभी कानूनी पहलुओं को बिल्कुल बारीकियों से समझेंगे ताकि भविष्य में आपको Section 323 से संबंधित किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े चलिए समझते हैं धारा 323 आईपीसी……

Table of Contents

IPC 323 in Hindi – “अपराध की प्रकृति”

स्वेच्छया उपहति करित करने से आशय :

आईपीसी की धारा 323  झगड़े और मारपीट से संबंधित है इस धारा के तहत मामला तभी दर्ज किया जाएगा जब झगड़ा या मारपीट स्वेच्छापूर्ण रूप से किया गया हो आसान भाषा में समझे तो इसमें किसी भी प्रकार का दबाव, भय, भ्रम यह सब शामिल नहीं होना चाहिए यह कार्य व्यक्ति की इच्छा से ही किया जाना चाहिए तभी वह धारा 323 के तहत आएगा।

चलिए इसको एक उदाहरण के साथ समझते हैं

मान लीजिए एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को  संपत्ति या व्यक्तिगत हानि का भय दिखाकर ऐसा कार्य करने को मजबूर करता है जो की वह व्यक्ति उस कार्य को नहीं करना चाहता लेकिन वह व्यक्ति मजबूरन वश वह कार्य करता है तो यह कहा जाएगा कि उस व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य स्वेछा पूर्ण मतलब कि उस कार्य को करने के पीछे उस व्यक्ति की  ‘दोषपूर्ण मन’ या ‘आपराधिक मनःस्थिति’ (Mens Rea)  नहीं  थी।

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इसमें एक बात और महत्वपूर्ण है  की मारपीट करने वाले व्यक्ति का आशय व्यक्ति को जान से मारने अर्थात् उसकी मृत्यु कारित करने का नहीं होना चाहिए और ना ही उसकी संभावना का ज्ञान होना चाहिए  इसका अर्थ यह निकलता है कि अगर व्यक्ति 323 की आड में किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करता है तो है वह व्यक्ति धारा 323 का बचाव नहीं ले सकता|

धारा 323 आईपीसी में लात मारना, मुका मारना, थपड मारना आदि साधारण प्रकृति के अपराध शामिल है इन सभी मामलों में धारा 323 आईपीसी का अपराध बनेगा।

भारतीय दंड संहिता की धारा 323 को समझने से पहले हमें भारतीय दंड संहिता की धारा 319 को समझना होगा जिसमें उपहति यानी कि Hurt  को परिभाषित किया गया है |

आई. पी. सी. के तहत चोट (Hurt) किसे कहा गया है?

भारतीय दंड सहित में उपहति ( hurt ) कि चोट को दो प्रकार से परिभाषित किया गया है। धारा 319 उपहति की परिभाषा प्रस्तुत करती है तथा धारा 320 घोर उपहति की परिभाषा का उल्लेख करती है।

धारा 319 साधारण उपहति को बताती है जिसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा, रोग, या दुर्बलता कारित करता है तो ये कहा जायेगा कि उस व्यक्ति द्वारा उपहति कारित की गयी है।

धारा 319 उन सभी कार्यों को शामिल किया गया है जो कि एक तुच्छ प्रकर्ति के कार्यों कि कोई सामान्य समझ का व्यक्ति शिकायत नहीं करेगा उन सबको छोड़कर अन्य प्रकार के कार्य इसकी परिभाषा में शामिल किया गया है ।

चोट और स्वैच्छिक रूप से चोट के कारण क्या है?

धारा 319 में परिभाषित अपराध की सजा धारा 323 में दी गयी है इसके साथ की साथ साधारण उपहति में कोई भी कृत्य अपराध की श्रेणी में तभी आया जब वह स्वेच्छापूर्वक किया जाता है दुर्घटना वश नहीं, इसी को धारा 321 में बताया गया है। 

गंभीर उपहति  और स्वैच्छिक रूप से चोट के कारण क्या है?

धारा 320 में गंभीर उपहति की परिभाषा दी गयी है, इस धारा में आठ प्रकार की उपहति दी गयी है अगर मामला इनमें से किसी के तहत आता है तभी वह घोर उपहति माना जायेगा और इसकी सजा का प्रावधान धारा 325 में दिया गया है।

कोई भी कृत्य स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति अपराध की श्रेणी में तभी आता है जब वह स्वेच्छापूर्वक किया जाता है दुर्घटना वश नहीं, धारा 322 में यही बात कही गई है।

आईपीसी 323 से क्या अभिप्राय है? Dhara 323 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 स्वेछा से उपहति कारित करने के लिए दंड का प्रावधान करती है। ये धारा अपेक्षाकृत मामूली अपराधों तक ही सीमित है। धारा 319 जो उपहति को परिभाषित करती है उसके लिए दंड का प्रावधान धारा 323 में किया गया है।

धारा 323 के तहत अपराध को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी का पीड़ित व्यक्ति को चोट पहुंचाने का इरादा था या आरोपी व्यक्ति जानता था कि उसके कार्यों के परिणाम स्वरूप चोट लगने कि संभावना थी।

धारा 323 में कहा गया है की अपराध स्वेछा से किया जाना चाहिए तभी वह धारा 323 कि परिभाषा में शामिल किया जायेगा इसके साथ ही साथ इसमें एक अपवाद को भी शामिल किया गया है जो है धारा 334 जिसमें कहा गया है कि प्रकोपन पर स्वेछा उपहति करित करना इसका सरल भाषा में अर्थ यहाँ निकलता है कि अगर कोई व्यक्ति प्रकोपन में आकर किसी व्यक्ति को उपहति करित करता है तो वह धारा 323 में न आकर धारा 334 में दंड पाने का अधिकारी होगा।

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323 IPC in English

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IPC Section 323 in English

IPC 323 in Marathi

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IPC 323 in Marathi

धारा 323 में सजा का प्रावधान

धारा 323 में स्वेछा उपहति के लिए सजा का प्रावधान दिया गया है जिसमें कहा गया है कि जो कोई व्यक्ति धारा 334 को छोड़कर स्वेछा उपहति कारित करेगा वह व्यक्ति दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास से ( कठोर कारावास या साधारण कारावास ) जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो की एक हजार रुपये तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डित किया जायेगा।

इसका अर्थ ये निकलता है की न्यायालय धारा 323 में दोषी व्यक्ति को अधिकतम एक वर्ष का कारावास जो मामले के अनुसार कठोर या साधारण हो सकता है या उसके अलावा अधिकतम एक हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाकर भी न्यायालय छोड़ सकता है या फिर दोनों में सजा या जुर्माना लगा सकता है ये सभी अलग अलग मामलों के तथ्यों और मामले की गंभीरता पर निर्भर करेगा।

जब अचानक उत्तेजना के कारण स्वेच्छया से चोट पहुंचाई जाती है?

जब अचानक उत्तेजना के कारण स्वेच्छया से चोट पहुंचाई जाती है तो मामला धारा 323 में न आकर धारा 334 में आएगा इसका मतलब ये हुआ की प्रकोपन में आकर उपहति कारित करने पर धारा 334 के अनुसार आरोपी व्यक्ति को सजा दी जायेगी।

धारा 323 (IPC) मामले में जमानत कैसे मिलेगी? Dhara 323 IPC Bailable or Not

आईपीसी की धारा 323 एक जमानतीय अपराध है जिसका मतलब है कि पुलिस आपको बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती।

इस धारा में जमानत लेने के लिया सबसे पहले आपको एक अधिवक्ता कि सहायता कि आवशकता होगी जो आपकी और से न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दाखिल करेगा ये कार्य आप अपने आप भी कर सकते है लेकिन आपको कानून कि जानकारी होना जरूरी है नहीं तो जमानत मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है इसलिए हम आपको एक अच्छे वकील को आपके केस कि पैरवी करने दे इसका कारण ये है कि एक अधिवक्ता को कोर्ट से संबंधित सभी बारीकियों कि जानकारी होती है।

जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के बाद न्यायालय दूसरे पक्षकारो को समन भेज देगी और एक सुनवाई के लिए एक तारीख तय करेगी, सुनवाई कि तारीख पर दोनों पक्षकारो कि दलीलों को न्यायालय सुनेगा और मामले कि गंभीरता और तथ्यों के अनुसार निर्णय देगा।

अगर आरोपी को लगता है कि धारा 323 में उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है यानी कि उसको एक आशंका है कि उसकी गिरफ़्तारी हो सकती है तो वह अधिवक्ता कि मदद से न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर कर सकता है।

धारा 323 IPC में सजा होने पर सरकारी नौकरी में परेशानी

किसी भी आपराधिक मुक़दमे में जब FIR दर्ज कि जाती है तो उस समय तक वे व्यक्ति निर्दोष कि श्रेणी में आता है|

जब तक न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति पर आरोप तय नहीं कर दिए जाते इसका मतलब व्यक्ति सरकारी नौकरी में आवेदन करने के लिए योग्य है लेकिन अगर आवेदन के समय यहाँ पूछा गया है कि पूर्व में कोई केस तो नहीं चला तो उस समय उस केस से सम्बंदित सभी प्रकार कि जानकारी देनी आवयशक है अगर आवेदक किसी भी प्रकार कि चालाकी करने कि कोशिश करता है तो वह सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं माना जायेगा।

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सरकारी नौकरी में आवेदन देने के बाद पुलिस द्वारा वेरिफिकेशन किया जाता है अगर उस दौरान कोई ऐसा तथ्य सामने आता है जो आवेदन के समय नहीं दिया गया था तो भी आवेदक नौकरी के लिए योग्य नहीं माना जायेगा।

अगर किसी आवेदक पर विचारण पूर्ण हो गया है और उससे उस मुक़दमे से बाइज्जत बरी कर दिया गया है तो भी वह नौकरी पा सकता है लेकिन अगर उससे पूर्व केस कि जानकारी मांगी गयी है तो उसे उस जानकारी को साझा करना पड़ेगा।

Section 323 IPC से संबंधित मुकदमे की सुनवाई किस कोर्ट में होती है?

धारा 323 एक जमानतीय और गैर-संज्ञेय अपराध है इसका मतलब पुलिस आपको बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है। इसके साथ ही साथ इस प्रकार के मामले किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा विचारणीय है।

धारा 323 से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय – Section 323 IPC Case Laws

लक्ष्मण सिंह बनाम बिहार राज्य [ 2021 ]

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि IPC कि धारा 323 के तहत मामले को न्यायालय के समक्ष लाने के लिए चोट कि रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य शर्त नहीं है।  इसके साथ ही साथ कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि सम्बंधित अस्पताल ने चोट कि रिपोर्ट जारी नहीं कि हो या ये भी हो सकता है कि पीड़ित व्यक्ति को चोट अंदरूनी अंगों में लगी हो जिस कारण उनका पूर्ण रूप से देख पाना संभव न हो सके। इस केस कि अध्यक्षता जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह द्वारा कि गयी।

FAQs – People also ask

IPC की धारा 323 में क्या अपराध होता है?

धारा 323 में मार-पीट होने पर FIR दर्ज करवाई जाती है इसमें मार-पीट करने वाले व्यक्ति को सजा का सामना करना पड़ता है।

क्या धारा 323 जमानतीय अपराध है? 323 IPC bailable or not

हाँ धारा 323 एक जमानतीय अपराध है।

क्या धारा 323 संज्ञेय अपराध कि श्रेणी में आता है? 323 IPC cognizable or not

नहीं यहाँ एक असंज्ञेय अपराध है।

धारा 323 में मुझे जमानत कैसे मिलती है?

Section 323 एक जमानतीय अपराध है इसमें जमानत मिल जाती है।

Dhara 323 में कितने दिन की सजा होती है?

धारा 323 में सजा होने पर एक साल तक कि सजा या एक हजार रुपया तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।

क्या IPC 323 में किये गए अपराध समझौता करने योग्य है? 323 IPC Compoundable or Not

IPC की धारा 323 एक समझौता योग्य अपराध की श्रेणी में आती है जिसका मतलब ये निकलता है कि दोनों पक्षकार आपसी सहमति से समझौता कर सकते है पीड़ित पक्षकार आरोपी को माफ कर सकते है और अदालत कि अनुमति से आरोपों को वापस से सकते है।

धारा 504 कब लगती है?

IPC की धारा 504 को सरल शब्दों में समझे तो 504 तब लगती है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को आशय अपमानित करता है और उसको इसका ज्ञान और संभवतया जनता है कि अगर वह उसको आशय अपमानित और प्रकोपित करेगा तो वे व्यक्ति या तो शांति भांग करेगा या फिर कोई अपराध करित करेगा तो जो व्यक्ति इस प्रकार अपमानित या प्रकोपित करेगा वह 504 के तहत अपराध का दोषी माना जायेगा।

धारा 323 504 506 में क्या होता है?

धारा 323 साधारण मारपीट के मामलों में सजा का प्रावधान करती है। वही धारा 504 उस व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान करती है जो किसी अन्य व्यक्ति को इस प्रकार अपमानित करता है कि वह व्यक्ति कोई अपराध करित करें तो उकसाने वाला व्यक्ति धारा 504 के तहत दोषी माना जायेगा।
धारा 506 आपराधिक धमकी या गाली देने पर लगाई जाती है लेकिन धमकी इस तरह कि दी गयी हो जिसमें कोई अपराध करने कि हो और उसमे सजा 7 साल या उसे ज्यादा का प्रावधान हो तो उस व्यक्ति पर 506 के तहत करवाई कि जाती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अंत में ये कहा जा सकता है कि धारा 323 मारपीट के मामलों में जो साधारण प्रकृति के होते है उसमे लगाई जाती है परन्तु ये अपराध समझौता योग्य है इसमें दोनों पक्षकारो कि सहमति से न्यायालय कि अनुमति से समझौता हो सकता है। ये अपराध एक जमानतीय अपराध है इसमें सरलता से जमानत मिल सकती है।

आशा करते है कि आपको धारा 323 in Hindi से सम्बंधित सभी प्रकार कि समस्याओं का समाधान मिल गया होगा अगर फिर भी आपका कोई सुझाव या प्रश्न है तो आप बेझिझक Comment Box के माध्यम से हमसे साझा कर सकते है हम उसका जल्दी से जल्दी उतर देना का प्रयास करेंगे।

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