चेक बाउंस होने पर चेक दाता की मृत्यु होने पर क्या करना चाहिए पूरी प्रक्रिया? Cheque Dhata ki Death Ho Jaye to Kya Kare

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अगर आपके भी केस में चेक बाउंस (Cheque Bounce) हो गया है और चेक जारी करने वाली पार्टी की मृत्यु (Cheque Dhata ki Death Ho Jaye to Kya Kare) हो गयी है और आप परेशान है कि आपका पैसा आपको मिलेगा कि नहीं तो अब आप चितंता मत कीजिये।

हम आपको इस पोस्ट के द्वारा बताएगे कि आप अपना पैसा चेक बाउंस होने पर चेक दाता की मृत्यु होने पर भी अपने पैसे कैसे वापस हासिल कर सकते है तो आपको यह पोस्ट लास्ट तक जरूर पड़नी है ताकि आप पूरी प्रक्रिया को जान सके।

अगर चेक बाउंस मामले में दोनों पक्षों में से किसी एक की मौत हो जाए, तो क्या मामला खत्म कर दिया जाएगा?

सबसे पहले आपको यहाँ बात जानना जरुरी है कि किसी भी प्रकार के आपराधिक प्रकृति (Criminal Case) के मामले में अगर पार्टी (पक्षकार) कि मृत्यु हो जाती है तो उस स्थिति में उसके उत्तराधिकारियों पर किसी भी प्रकार कि कारवाई नहीं कि जा सकती मतलब कि कोई भी केस नहीं चलाया जा सकता है।

Fake चेक बाउंस केस से बचने के जबरदस्त उपाय

क्योकि आपराधिक विधि (Criminal Case) का उद्देश्य सामने वाले व्यक्ति को सजा देना है | अगर पक्षकार कि मृत्यु हो जाती है तो न्यायालय उसकी सजा किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दे सकता इसलिए ही पक्षकार कि मृत्यु होने पर केस अगर पहले से ही चल रहा है तो उसको वही ख़तम कर दिया जायगा और अगर केस अभी तक न्यायालय में नहीं आया है और सामने वाले पक्षकार कि मृत्यु हो गयी है तो किसी भी प्रकार का आपराधिक केस (Criminal Case) उस व्यक्ति के खिलाफ नहीं लाया जा सकता है।

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इसी प्रकार चेक बाउंस केस कि प्रकति दोनों प्रकार कि होती है मतलब दीवानी मुकदमा (Civil Case) और आपराधिक मुकदमा (Criminal Case) |

धारा 138 NI Act के अनुसार केस कि प्रकृति आपराधिक होती है इसमें व्यक्ति को धारा 138 NI Act के तहत दोषी पाए जाने पर उसको चेक कि राशि का दोगुना या फिर दो साल तक कि जेल तक भी हो सकती है क्योकि यह धारा पैसे कि वसूली के लिए नहीं बल्कि अपराधी को सजा दिलवाने के लिए होती है।

इसमें यह भी जानना जरुरी है कि धारा 138 NI Act केवल चेक जारी करने वाले व्यक्ति के खिलाफ ही केस करने कि अनुमति देती है उसके उत्तराधिकारियों के खिलाफ धारा 138 NI Act के तहत वाद दायर नहीं किया जा सकता है।

ज्यादातर लोगो के द्वारा चेक बाउंस केस होने पर धारा 138 NI Act के तहत ही मामला दर्ज करवाया जाता है लेकिन आपको यह भी जानना भी जरुरी है कि चेक बाउंस केस में पैसो कि रिकवरी के लिए आप सिविल न्यायालय में CPC के आदेश 37 के तहत वाद ला सकते है।

CPC के आदेश 37 के अनुसार आप चेक जारी करने वाले के उत्तराधिकारियों के खिलाफ भी सिविल वाद ला सकते हो क्योकि धारा 6 NI Act के अनुसार चेक एक बिल ऑफ एक्सचेंज है।

ज्यादातर व्यक्तियो को CPC के आदेश 37 के बारे में नहीं पता होता है जिस कारण वह अपना पैसा वापस नहीं प्राप्त कर पाते है और जिनको इसके बारे में जानकारी है वह इस आदेश के तहत वाद इसलिए दायर नहीं करना चाहते है क्योकि इसमें शिकायतकर्ता को कोर्ट फीस दावे के साथ ही न्यायालय में स्टम्प के रूप में जमा करवानी होती है।

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अगर आपके भी केस में चेक जारी करने वाले पक्षकार कि मृत्यु हो जाती है चाहे न्यायालय में केस अपने किया हो या नहीं तो आपको बिना देर किये सबसे पहले चेक जारी करने वाले व्यक्ति के उत्तराधिकारियों को एक लीगल नोटिस देना चाहिए |

जिसमे आप उन सभी बातो कि जानकारी उनके उत्तराधिकारियों को बताओगे और उसी में आपको अपने पैसो को एक तय सीमा के अंदर जो नोटिस प्राप्त होने के अगले 15 से 30 दिन कि अवधि हो सकती है पैसे वापस करने के लिए कहना होगा अगर वह आपको तय समय सीमा के अंदर पैसे वापस नहीं करते है तो आप CPC के आदेश 37 के तहत उनके खिलाफ सिविल केस दायर कर सकते है।

इसमें यह बात जरुरी है कि CPC के आदेश 37 के तहत वाद चेक बाउंस होने कि तारीख से अगले तीन साल तक कि अवधि में ही वाद दायर किया जा सकता है यह समय सीमा समाप्त होने के बाद आपको वाद दायर करने का कोई अधिकार नहीं मिलेगा।

उदहारण के लिए मान लीजिये आपको किसी व्यक्ति से चेक मिला और वह चेक बाउंस हो गया अपने धारा 138 NI Act के तहत वाद दायर कर दिया और केस को चलते हुए तीन साल या इससे ज्यादा समय हो गया और उसी बीच चेक जारी करने वाले व्यक्ति कि मृत्यु हो गयी है तो अब आपको आपका पैसा नहीं मिल सकता है क्योकि CPC के आदेश 37 के तहत वाद दायर करने कि समय सीमा तीन साल है।

इसीलिए कानूनी सलाह आपको यह है कि आपको दोनों केस (धारा 138 NI Act और CPC के आदेश 37) एक साथ करने चाहिए |

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इसका फायदा यह होगा कि अगर केस के दौरान चेकधाता कि मृत्यु हो जाती है तो फिर भी आपका केस CPC के आदेश 37 के तहत चलता रहेगा और फिर आप उस तीन साल कि समय सीमा से भी बच जाओगे।

CPC के आदेश 37 के अनुसार वाद दायर करने में केस न्यायालय द्वारा जल्दी ही तय कर दिया जाता है इसमें अधिक समय नहीं लगता है।

आशा करते है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी अगर फिर भी आपका कोई सवाल है तो आप हमसे Comment Box के माध्यम से पूछ सकते है। इस जानकारी को अपने दोस्तो के साथ साझा करना न भूले आप हमसे हमारे फ़ेकबुक के माध्यम से भी जुड़ सकते है। धन्यवाद

5 thoughts on “चेक बाउंस होने पर चेक दाता की मृत्यु होने पर क्या करना चाहिए पूरी प्रक्रिया? Cheque Dhata ki Death Ho Jaye to Kya Kare”

  1. मैने जिसे चेक दीया उसकी मृत्यु हो गई उससे पहले ही मैने 37 की धारा का केस लगा दीया था अब उसकी मृत्यु हो गई है किंतु उसकी प्रॉपर्टी पत्नी के नाम है तो मुझे पैसे मिलने की उम्मीद है क्या
    ओर यह भी बताएं की इसके आलावा में और कोनसा केस लगाऊं उसके परिवार पर जिससे मुझे मेरा पैसा मिले

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    • आपके सवाल के लिए धन्यवाद
      Chandra Prakash ji सबसे पहले आप अपने सवाल को अच्छे से लिखे ताकि समझने में आसानी हो तभी हम आपकी help कर सकते है।

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  2. जिसने चेक दीया उसकी मृत्यु हो गई मैने 37 की धारा का केस लगा दीया है किंतु उसकी प्रॉपर्टी पत्नी के नाम है तो मुझे पैसे मिलने की उम्मीद है क्या
    ओर यह भी बताएं की इसके आलावा में और कोनसा केस लगाऊं उसके परिवार पर जिससे मुझे मेरा पैसा F I R भी दर्ज कराई है

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  3. Sir mere ek aadmi PR pese h or usne mere ko chek de diye jo ki 3 chek h jisme 1 bauns ho gya baki 2 chek usne stop kra diye ab m bhut preshaan hu mere pese mil skta h yaa nhi
    Aap ye batane ki kirpa kre

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    • ji ha apko apke paise mil sakte hai apko cheque bounce hone ki date se 30 days ke under usko legal notice send karna hai jisme apko cheque bounce memo attach karna hai or usko 15 days ka time de uske under agar vo vakti apke paise apko return nahi karta hai to apko 138 NI act ke tahat case fill karna hai bina dar kiye.

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