20 अगस्त 2025 को संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने “130वां संविधान संशोधन विधेयक” पेश किया हैं। यह विधेयक प्रस्तावित करता है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहे, तो उन्हें अपने पद से हटा दिया जाए वो भी बिना किसी अंतिम न्यायिक निर्णय (conviction) के भी।
बिल को अब जॉइंट पार्लियामेंटरी कमिटी (JPC) को भेजा गया है ताकि उसका विस्तार से मूल्यांकन किया जा सके |
विधेयक पेश होते ही संसद में तीखी बहस छिड़ गई। गृह मंत्री इसे “नैतिकता और जवाबदेही बढ़ाने वाला” कदम बता रहे हैं, लेकिन विपक्ष इसे “ड्राकोनियन” और “न्याय के सिद्धांतों का गिरवी रखना” बता रहा है।
इसका उद्देश्य
इस 130वा सविधान संसोधन यहाँ बताता हैं कि आरोपी नेता (जिन पर कम से कम पांच वर्ष की सजा वाले मामले में आरोप हों) यदि 30 दिनों तक हिरासत में रहे, तो सविधान मे दी गयी पद से हटाने कि प्रक्रिया का पालन किये बिना ही 31 वे दिन उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ेगा इसमें किसी कि भी सलहा कि आवश्कता नहीं हैं |
केंद्र स्तर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह से उन्हें पद से हटाएगा।
राज्य स्तर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह से कार्रवाई करेंगे।
अगर 31 दिन तक सलाह नहीं दी गई, तो स्वचालित रूप से पद से हटना होगा।
एक बार रिहा हो जाने पर पुन: नियुक्ति संभव है।
यह संशोधन प्रमुख रूप से अनुच्छेद 75, 164, और 239AA में बदलाव लाएगा।
सरकार का कहना है कि कई बार ऐसी स्थिति बनी है जहाँ CMs या मंत्री जेल में रहने के बावजूद पद पर बने रहे। यह बिल सही मायनों में लोकतंत्र में जवाबदेही और शासन के नैतिक मानकों के लिए जरूरी कदम है।
अब देखना ये है कि इस सविधान संसोधन के लागु होने के बाद क्या बदलाव देखने को मिलते हैं और इसका असर कितने लोगो पर होता हैं | अगर आप इस सविधान संसोधन bill कि pdf को downlod करना चाहते हैं तो आप निचे दिए गए downlod लिंक पर जाकर इसकी pdf downlod कर सकते है |
Constitution (130th Amendment) Bill, 2025 pdf download
क्या इस बिल का सीधा और तुरन्त प्रभाव हो गया है?
अभी यह सिर्फ प्रारूप में पेश किया गया है और JPC द्वारा अध्ययन के लिए भेजा गया है। कानून बनने के लिए इसे संसद से पारित होना और राज्यों की मंजूरी प्राप्त करनी होगी।
कौन-कौन से प्रावधान संविधान में जोड़े गए हैं?
मुख्यत: यदि कोई केंद्रीय या राज्य मंत्री/प्रधानमंत्री 30 दिन तक हिरासत में रहे ( पांच वर्ष से अधिक की सजा या अधिक), तो उन्हें हटाया जाएगा। केन्द्र में राष्ट्रपति, राज्यों में राज्यपाल द्वारा हटाने की प्रक्रिया होगी। लेकिन अगर ये 31 वे दिन को बिना प्रक्रिया के हटा दिया जायगा|इनमें अनुच्छेद 75, 164, और 239AA शामिल हैं।
क्या हटाए गए व्यक्ति को फिर से नियुक्त किया जा सकता है?
हाँ बिल्कुल, यदि वह बरी या जमानत पर बाहर आ जाता है, तो पुनः नियुक्ति संभव है। यह अस्थायी रोक का प्रावधान है, स्थायी नहीं।
यह विधेयक क्यों लाया गया?
सरकार का उद्देश्य है कि जेल से शासन चलाने की स्थिति न बने, सार्वजनिक विश्वास बना रहे, और राजनीतिक सिस्टम नैतिक हो।