अगर आपके पास Court की तरफ से कोई नोटिस (Court Notice) आया है, तो घबराएं नहीं। नोटिस मिलना मतलब यह नहीं है कि आपने कोई अपराध किया है। कई बार गलतफहमी, दस्तावेज़ी त्रुटि, या किसी तीसरे व्यक्ति की शिकायत के कारण भी कोर्ट नोटिस जारी करती है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि कोर्ट नोटिस आने पर क्या करना चाहिए (Court Se Notice Aaye to Kya Kare) और किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।
कोर्ट से आये नोटिस को प्राप्त करे या नहीं ?
सबसे पहले में आपको ये बात बताना चाहता हु कि जब कभी भी आपको कोर्ट या किसी भी तीसरे व्यक्ति से नोटिस आता है तो आपको बिना किसी देरी के नोटिस को प्राप्त कर लेना चाहिए इसका कारण ये है कि अगर आप नोटिस प्राप्त नहीं करोगे या नोटिस लेने से मना करोगे तो वह नोटिस देने वाला व्यक्ति इस बारे में कि अपने नोटिस लेने से मना कर दिया उस नोटिस के पीछे ही लिख देता है जिसका मतलब न्यायालय यह मानता है कि आपको नोटिस मिल चूका है इसलिए नोटिस ज़रूर प्राप्त करे।
कोर्ट से आये नोटिस को प्राप्त करना क्यों जरुरी है ?
नोटिस में आपको कोर्ट का नाम और दिनाक मामले का नाम जिसमे आपको नोटिस मिला है इन सब बातो कि जानकारी आपको नोटिस में दी जाती है |
इसमें केस का नंबर भी लिखा होता है जो आप कोर्ट कि Official Website में जाकर जानकारी ले सकते हो।
नोटिस को पढ़ने से आपको ये पता चल जाएगा कि आपको नोटिस किस कारण से आया है जैसे: चेक बाउंस (धारा 138 NI Act), संपत्ति विवाद, ऋण वसूली, या पारिवारिक मामले।
नोट : इसमें आपको ये बात ध्यान रखनी है कि जब आप नोटिस को प्राप्त करोगे तब आपको अपने हस्ताक्षर करते समय दिनांक जरूर लिखना चाहिए जिससे ये पता चल जायगा कि आपको नोटिस कब मिला था ये आपको आपके Court Case में आपको हेल्प करेगा।
नोटिस की जांच कैसे करे ?
बहुत बार ये देखा गया है कि फ्रॉड या धोखाधड़ी वाले नोटिस भी लोगो को भेजे जाते हैं जिसके बाद उनसे पैसे माँगे जाते है और अगर पैसे नहीं दिए गए तो गिरफ्तार करने कि धमकी दी जाती है इसलिए आप लोगो को इस तरह के फ्रॉड नोटिस से बचना चाहिए। सही नोटिस कि जांच के लिए आप इन चीज़ों को चेक करें:
- कोर्ट का नाम और पता: ऑनलाइन ecourt पर जाकर सर्च करके चेक करे।
- वकील/न्यायालय की मुहर: नोटिस पर कोर्ट या वकील की मुहर होनी चाहिए और उसके साथ ही साथ उसपर न्यायालय के हस्तसार होने चाहिए।
- नोटिस पर अगर कोई केस नंबर लिखा हुआ है तो उसे ecourt कि वेबसाइट पर जाकर चेक करे।
अगर आपको समझ नहीं आ रहा है कि नोटिस सही है या नहीं तो आप इसमें हमारी भी हेल्प ले सकते है हम आपको नोटिस को समझने और उसका जवाब देने में आपकी सहायता कर सकते है उसके लिए आप हमे हमारे WhatsApp नंबर पर आकर जानकारी ले सकते है।
नोटिस आने का क्या कारण है नोटिस में आपसे क्या मांगा गया है ?
नोटिस में आपको ये देखना पड़ेगा कि आपको किसी केस में जवाब दाखिल करने के लिए बुलाया गया है या कोर्ट में पेश होने के लिए या फिर कोई दस्तावेज जमा करने के लिए बुलाया गया है।
नोटिस का जवाब कैसे दे ?
अगर आप चाहे तो खुद ही नोटिस का जवाब दे सकते है लेकिन अगर आपको जवाब देने में समस्या हो रही है तो तुरंत वकील या आप हमसे संपर्क कर सकते है क्योकि नोटिस आने पर कानूनी सलाह लेना जरुरी होता है इसका कारण यह है कि कानूनी सलाहकार ही आपको बता सकता है कि नोटिस का अगर जवाब देने है तो कितने दिन में देना है कौन कौन से कागज (दस्तावेज) नोटिस के साथ लगाने है या कोर्ट में जाते समय अपने साथ लेकर जाने है।
ध्यान रहे नोटिस को नज़र अंदाज करना आपके खिलाफ साबित हो सकता है जैसे जुर्माना या गिरफ्तारी (अगर केस संज्ञेय अपराध है )।
अगर आप नोटिस का जवाब नहीं देते हैं?
ज्यादातर मामलो में नोटिस CPC सेक्शन 80 के तहत सिविल केस (Civil Notice) में भेजा जाता है।
क्रिमिनल केस (Criminal) में ज्यादातर वारंट (warrant) न्यायालय द्वारा भेजा जाता है।
सिविल केस में नोटिस का जबाव नहीं देने पर कोर्ट एकतरफा फैसला (Ex-parte Order) मतलब दूसरे पक्षकार को सुने बिना ही निर्णय दे देना।
इसलिए आपको नोटिस का जवाब लिखित (Written Statement) रूप में दाखिल करना चाहिए और अपने पक्ष में सबूत जमा करने चाहिए |
समन केस (Summon Case) में अगर आपको कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है, तो तारीख न छोड़ें। अनुपस्थित रहने पर वारंट जारी हो सकता है या संपत्ति ज़ब्त या जुर्माना भी लग सकता है।
क्रिमिनल केस (Criminal Case) में अगर न्यायालय से आपको नोटिस मिलता है जैसे चेक बाउंस या धारा 318 (4) BNS जैसे मामलों में तो आपको बिना देरी के उस नोटिस का पालन करना चाहिए मतलब आपको जो समय दिया गया है उस दिन आपको न्यायालय में पेश होना चाहिए नहीं तो आपके खिलाफ न्यायालय वारंट जारी कर सकती है |
इसका मतलब पुलिस आपको गिरफ्तार करके न्यायालय में पेश करेगी। इसलिए तुरंत ज़मानत (Bail) के लिए अप्लाई करें और केस के पक्ष में दलीलें तैयार करें।
आम गलतियों से बचे ?
- नोटिस को फाड़कर फेंक देना या लापरवाही करना।
- बिना वकील के कोर्ट में जाना।
- नोटिस का जवाब देने की समयसीमा आमतौर पर नोटिस मिलने के 30 दिन के अंदर जवाब देना होता है। कुछ केसों में यह समय कम भी हो सकता है (जैसे धारा 138 NI Act में 15 दिन)।
कोर्ट नोटिस से जुड़े कुछ सवाल-जवाब
क्या नोटिस ऑनलाइन चेक किया जा सकता है?
हाँ ecourts.gov.in पर केस नंबर डालकर डिटेल्स चेक कर सकते हैं।
नोटिस का जवाब ऑनलाइन दाखिल कर सकते हैं?
ज्यादातर मामलो में ऑनलाइन जवाब नहीं दिया जा सकता।
नोटिस आने के बाद कोर्ट जाना जरुरी है क्या ?
हाँ अगर आपको कोर्ट ने जिस दिन जिस समय पर बुलाया है उस दिन आपको कोर्ट जाना जरुरी है नहीं तो आप परेशानी में पड सकते है।
क्या वकील के बिना जवाब दाखिल कर सकते हैं?
हाँ, लेकिन कानूनी भाषा और प्रक्रिया की समझ ज़रूरी है।
नोटिस का जवाब देने में कितना खर्च आता है?
यह केस की प्रकृति पर निर्भर करता है। सिविल केस में ₹500-2000 और क्रिमिनल केस में ₹2000-5000 तक खर्च हो सकता है।