धारा 138 NI Act में जमानत कैसे लें? Cheque Bounce Case me Jamanat Kaise Hoti Hai

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धारा 138 NI Act (निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट) के तहत चेक बाउंस केस एक आपराधिक मामला होता है, जिसमें दोषी पाए जाने पर 2 साल तक की जेल या चेक राशि का दोगुना जुर्माना हो सकता है।

ऐसे में, अगर आप पर यह केस दर्ज हो गया है, तो जमानत (Bail) लेना सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि धारा 138 में जमानत कैसे मिलती है, कोर्ट प्रक्रिया क्या है और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए|

धारा 138 NI Act कब लगती है ?

चेक के बाउंस होने के बाद, लाभार्थी द्वारा 30 दिन में नोटिस भेजे जाने और 15 दिन में भुगतान न होने पर धारा 138 NI Act केस दर्ज होता है।

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धारा 138 NI Act में जमानत लेने की प्रक्रिया

सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि 138 NI Act में जब न्यायालय में मुकदमा जाता है तब न्यायालय केस कि प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अभियुक्त को न्यायालय में बुलाने के लिए इन तीन तरीको का इस्तेमाल करती है।

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सम्मन तामील (Summon Notice) – सबसे पहले न्यायालय अभियुक्त को न्यायालय में बुलाने के लिए सम्मन जारी करती है जो दो कॉपी में जारी किया जाता है।

सम्मन जारी होने के बाद एक पुलिस अधिकारी अभियुक्त के घर जाता है जहा से चेक जारी हुआ है और वह पर अभियुक्त को परिवाद (Complaint) कि एक कॉपी देकर दूसरी कॉपी पर उसके हस्ताक्षर करवाकर उसे न्यायालय में जमा कर दिया जाता है।

इसके बाद कोर्ट ये आशा करती है कि अभियुक्त तय समय और दिनांक पर न्यायालय में हाज़िर होकर अपना लिखित जवाब (Written Statement) दाखिल करेगा। अगर अभियुक्त न्यायालय में नहीं जाता है तो न्यायालय उसके खिलाफ जमानतीय वारंट (Bailable Warrant) जारी कर देती है।

जमानतीय वारंट (Bailable Warrant) – अगर अभियुक्त सम्मन करने के बाद भी न्यायालय में नहीं आता है तो कोर्ट उसके खिलाफ जमानतीय वारंट (Bailable Warrant) जारी कर सकती है।

इसमें एक पुलिस अधिकारी अभियुक्त के घर आकर आपसे जमानत बांड (Bail Bond) दाखिल करने के लिए कहेगा और न्यायालय द्वारा दिए गए दस्तावेजों पर आपके हस्ताक्षर करवाएगा।

पुलिस अधिकारी आपको दिनांक और समय कि जानकारी देगा जिस दिन आपको न्यायालय में जाकर अपनी जमानत करवानी होगी। फिर आपको तय समय पर कोर्ट जाकर अपने साथ २-३ जमानती लेकर जाये और न्यायालय में जाकर जमानत (Bailable Warrant Cancellation) करवाए इसमें आपको तारीख पर न आने का कारण बताना होगा हो सकता है न्यायालय आपके ऊपर जुर्माना भी लगा सकती है | ध्यान रहे जमानतीय वारंट (Bailable Warrant) होने पर आपको न्यायालय से ही जमानत करवानी होती है।

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गैर जमानती वारंट (Non Bailable Warrant) – अगर अभियुक्त जमानतीय वारंट (Bailable Warrant) होने के बाद भी न्यायालय में नहीं जाता है तो न्यायालय गैर जमानती वारंट (Non Bailable Warrant) जारी कर सकती है इसके बाद पुलिस अधिकारी अभियुक्त को वारंट दिखाकर गिरागतार कर सकता है इसमें जमानत मिलना थोड़ा मुश्किल होता है।

महत्वपूर्ण केस – सोना गोयल vs विपुल नागपाल 2019 HC Raj

ये केस 138 NI Act के मामले में बहुत महत्त्वपूर्ण है इस केस में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा महत्व पूर्ण निर्णय दिया गया

  • इस केस में कहा गया कि 138 NI Act के केस में जब सारी करवाई पूरी हो जाती है तो अभियुक्त को जमानत (Bail) लेने का अधिकार हो जाता है न्यायालय अभियुक्त को बैल (Bail) देने से मना नहीं कर सकता।

  • न्यायालय या मजिस्ट्रेट अभियुक्त पर किसी भी प्रकार कि पाबन्दी नहीं लगा सकता जमानत देने के केस में जैसे – पासपोर्ट जमा करना आदि।

दस्तावेज

आपको न्यायालय में जाते समय जब आप अपनी जमानत करवाने के लिए जा रहे है तो आपको कुछ जरुरी दस्तावेज अपने साथ लेकर जाना जरुरी है जैसे – फोटो , आधार कार्ड , वोटर ID कार्ड , पेन कार्ड , सम्पति या ज़मीन के कागज या कार या बाइक कि RC अपने साथ असली (Original) लेकर जानी है और साथ में 2 जमानतीय और उनकी एक एक Id Proof।

निष्कर्ष

धारा 138 NI Act के तहत जमानत लेना एक कानूनी अधिकार है, लेकिन इसे पाने के लिए सही प्रक्रिया और तैयारी ज़रूरी है। अगर आप पर चेक बाउंस का केस हुआ है, तो तुरंत वकील से संपर्क करें और अपने पक्ष में शबूत झुटाना शुरू कर दे।

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धारा 138 NI Act में जमानत से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या धारा 138 में जमानत मिलना आसान है?

जी हाँ, अगर आप पहली बार अपराधी हैं और चेक राशि छोटी है, तो कोर्ट जमानत दे देती है।

जमानत राशि कितनी हो सकती है?

यह चेक की राशि और केस की गंभीरता पर निर्भर करता है।

क्या जमानत मिलने पर केस खत्म हो जाता है?

नहीं जमानत सिर्फ अस्थायी रिहाई है। केस की सुनवाई जारी रहेगी।

अगर जमानत अर्जी खारिज हो जाए तो क्या करें?

हाई कोर्ट में अपील करें या फिर से संशोधित अर्जी दाखिल करें।

क्या चेक की राशि चुकाकर केस रद्द कर सकते हैं?

हाँ, अगर आप लाभार्थी को पैसा चुका देते हैं, तो वह कोर्ट में समझौता (Compromise) कर सकता है।

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