भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के मुताबिक, अब पुलिस व्हाट्सएप(WhatsApp), ईमेल (Email) या एसएमएस के जरिए नोटिस नहीं भेज सकती।
यह फैसला सतेंद्र कुमार अंटील बनाम CBI (2022) केस में दिया गया है। इससे पहले अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) केस में भी कोर्ट ने कहा था कि 7 साल तक की सजा वाले मामलों में पुलिस सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती। आइए, इसे आसान भाषा में समझने की कोशिश करते है।
कोर्ट से नोटिस आये तो क्या करना चाहिए ?
पुलिस को नोटिस भेजने के नियम CrPC 41 A और BNSS 35
CrPC की धारा 41A और नए कानून की धारा 35 BNSS के मुताबिक, पुलिस किसी व्यक्ति को किसी केस में जांच में शामिल करने के लिए बुलाने से पहले लिखित नोटिस भेजती है।
यह नोटिस सीधा उस व्यक्ति को थमाया जाना चाहिए फिर उसके घर के पत्ते पर रजिस्टर पोस्ट के द्वारा भेजा जाना चाहिए |
किसी भी Electric Mode (व्हाट्सएप या ईमेल) के द्वारा नोटिस भेजना गलत है लेकिन ये बात CrPC 41 A और BNSS धारा 35 में कही भी नहीं लिखी गयी है लेकिन Supreme Court ने अपने हल ही के फैसले में सतेंद्र कुमार अंटील बनाम CBI (2022) ये बात बिलकुल साफ कर दी है कि CrPC 41 A और BNSS धारा 35 में नोटिस देने के माध्यम को नहीं बताया गया है तो नोटिस वही पुराने तरीको से दिया जाएगा चाहे उस व्यक्ति को Direct या फिर उसके घर के पत्ते पर रजिस्टर पोस्ट के द्वारा भेजा जाएगा।
सतेंद्र कुमार अंटील बनाम CBI (2022) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सतेंद्र कुमार अंटील केस में कोर्ट ने तीन बड़े मुद्दों पर फैसला दिया:
(i) जेल में बंद लोगों की रिहाई
- कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड की जांच करके कुछ कैदियों को पर्सनल बॉन्ड पर छोड़ा जा सकता है।
- यह सुझाव NALSA (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) ने माना है, लेकिन इसे लागू करने के लिए अभी योजना बनानी है।
(ii) WhatsApp नोटिस पर रोक
- कोर्ट ने साफ कहा कि पुलिस WhatsApp या Email से नोटिस नहीं भेज सकती।
- नोटिस व्यक्ति को थमाया जाए या रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाए।
- हरियाणा पुलिस के एक आदेश (26.01.2024) को खारिज कर दिया गया, जो WhatsApp नोटिस की अनुमति देता था।
(iii) नियमों की जांच के लिए समिति
- सभी High Court को निर्देश दिया गया कि वे एक समिति बनाएं, जो यह जांचे कि पुलिस और प्रशासन कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं या नहीं।
कोर्ट के मुख्य आदेश
- राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपनी पुलिस को निर्देश दें कि नोटिस केवल कानूनी तरीके से भेजे जाएं।
- WhatsApp या Email से नोटिस भेजना गैरकानूनी है।
- लक्षद्वीप को 2 हफ्ते के भीतर कोर्ट के पुराने आदेशों का पालन करना होगा, नहीं तो मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा।
- सभी राज्यों को 4 हफ्ते के भीतर हलफनामा (Compliance Affidavit) complianceinantil@gmail.com पर भेजना होगा।
आप क्या करे
अगर आपको पुलिस ऑनलाइन नोटिस भेजती है और पुलिस थाने आने के लिए दबाव बनती है तो आपको घबराने कि जरुरत नहीं है आप इस कोर्ट के आदेश कि कॉपी उनको दिखा सकते है। हमने इस फैसले कि कॉपी डाउनलोड करने की लिंक अपनी पोस्ट के अंत में दी है आप वह से इसको पढ़ सकते है या डाउनलोड कर सकते है। चलिए अब जानते है कि आप क्या क्या कदम उठा सकते है।
- अगर आपको WhatsApp नोटिस मिलता है, तो इसे नजरअंदाज कर सकते हैं।
- धारा 41A CrPC और BNSS धारा 35 के मुताबिक, नोटिस व्यक्तिगत रूप से या रजिस्टर्ड डाक से ही दिया जा सकता है।
- अगर पुलिस दबाव बनाए, तो तुरंत वकील से संपर्क करें या कोर्ट में शिकायत करें।
यह फैसला क्यों जरूरी है
- यह फैसला इसलिए जरुरी है क्योकि पुलिस के द्वारा व्यक्तियो के अधिकारों के हो रहे हननं को रोका जा सके।
- पुलिस अब मनमानी नहीं कर सकती और अब पुलिस को नोटिस भेजने के लिए कानूनी तरीके का पालन करना होगा।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आम आदमी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अब पुलिस WhatsApp नोटिस भेजकर आपको परेशान नहीं कर सकती। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करें और न्याय की मांग करें।
अगर आप हमसे अपने किसी कानूनी मामले में सलाह चाहते है तो आप हमसे WhatsApp के माध्यम से संपर्क कर सकते है। अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है हम जल्दी से जल्दी आपके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे। Thankyou…